FIR कैसे दर्ज करें

FIR कैसे दर्ज करें – Step by Step गाइड हिंदी में"



परिचय

FIR कैसे करे चलिय  जानते है |भारत में कई बार लोग अपराध होने के बावजूद FIR दर्ज नहीं कराते, क्योंकि उन्हें प्रक्रिया की जानकारी नहीं होती या पुलिस के व्यवहार से डरते हैं। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि FIR दर्ज करना आपका मौलिक और कानूनी अधिकार है। इस लेख में हम जानेंगे कि FIR क्या होती है, इसे कब और कैसे दर्ज किया जाता है, और अगर पुलिस मना करे तो आपको क्या करना चाहिए।




 FIR क्या होती है?

FIR यानी First Information Report, भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 154 और BNSS की धारा 173  के तहत एक दस्तावेज होता है जिसमें किसी संज्ञेय अपराध की सूचना पहली बार पुलिस को दी जाती है।

  • यह शिकायत किसी भी व्यक्ति द्वारा दी जा सकती है, भले ही वह पीड़ित न हो।

  • FIR दर्ज करना अनिवार्य होता है यदि अपराध संज्ञेय (Cognizable) हो।

संज्ञेय अपराध: ऐसे अपराध जिनमें पुलिस बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति के गिरफ्तारी कर सकती है, जैसे हत्या, बलात्कार, अपहरण आदि।


 FIR दर्ज करने की प्रक्रिया – स्टेप बाय स्टेप

🟢 Step 1: नजदीकी पुलिस स्टेशन जाएं

घटना की जानकारी देने के लिए अपने क्षेत्र के थाने में जाएं। FIR उसी थाने में दर्ज होती है जहाँ अपराध हुआ हो।

🟢 Step 2: घटना का पूरा विवरण दें

  • घटना की तारीख, समय और स्थान

  • अपराध का स्वरूप (जैसे चोरी, हमला, धोखाधड़ी)

  • अपराधी की पहचान (अगर पता हो)


🟢 Step 3: पुलिस अधिकारी को रिपोर्ट लिखने दें

आप मौखिक रूप से जानकारी देंगे और पुलिस उसे लिखेगी। आप चाहें तो लिखित शिकायत खुद भी दे सकते हैं।

🟢 Step 4: FIR को पढ़ें और सही करवाएं

FIR दर्ज होने के बाद अधिकारी उसे आपको पढ़ कर सुनाए। अगर कोई गलती हो तो उसी समय सही करवाएं।

🟢 Step 5: FIR की कॉपी लें

CrPC की धारा 154 के अनुसार, FIR की एक कॉपी मुफ्त में दी जाती है। यह आपके पास सुरक्षित होनी चाहिए।



 FIR ऑनलाइन कैसे दर्ज करें?

अब कई राज्यों ने ऑनलाइन FIR दर्ज करने की सुविधा दी है। आप अपने राज्य की पुलिस वेबसाइट पर जाकर FIR ऑनलाइन दर्ज कर सकते हैं।


 उदाहरण: ये उन website के लिंक है जिस पर  आप  online FIR कर सकते है |

ऑनलाइन FIR विशेष रूप से वाहन चोरी, मोबाइल गुम होने जैसे मामलों के लिए होती है।





 अगर पुलिस FIR दर्ज न करे तो क्या करें?

अगर पुलिस FIR दर्ज करने से मना कर दे तो:

🟠 विकल्प 1: उच्च अधिकारी को शिकायत करें

आप संबंधित पुलिस अधीक्षक (SP) या वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को लिखित में शिकायत दे सकते हैं।

🟠 विकल्प 2: मजिस्ट्रेट के पास जाएं (CrPC 156(3))

आप मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन देकर आदेश दिलवा सकते हैं कि पुलिस FIR दर्ज करे।

🟠 विकल्प 3: मानवाधिकार आयोग / पुलिस शिकायत प्राधिकरण में शिकायत करें

यदि मामला गंभीर है और पुलिस की लापरवाही स्पष्ट है तो आप मानवाधिकार आयोग या राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण में शिकायत कर सकते हैं।



 FIR दर्ज करने से जुड़ी जरूरी बातें (Legal Tips)

  • FIR किसी भी भाषा में हो सकती है जिसे पुलिस समझती हो

  • FIR में झूठी जानकारी देना अपराध है (IPC धारा 182)

  • FIR केवल संज्ञेय अपराधों के लिए होती है; गैर-संज्ञेय अपराध के लिए NCR (Non-Cognizable Report) होती है



 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

❓ FIR दर्ज करने के लिए कोई शुल्क लगता है?

उत्तर: नहीं, FIR दर्ज करना पूरी तरह निःशुल्क है।

❓ क्या FIR बिना वकील के दर्ज की जा सकती है?

उत्तर: हाँ, इसके लिए वकील की आवश्यकता नहीं होती। आप स्वयं शिकायत कर सकते हैं।

❓ FIR दर्ज करने के कितने दिन के अंदर करनी चाहिए?

उत्तर: जितनी जल्दी हो सके। देर से दर्ज करने पर पुलिस संदेह कर सकती है। हालांकि कानूनन कोई सीमा नहीं है।



 निष्कर्ष

FIR दर्ज करना हर नागरिक का अधिकार है और एक शक्तिशाली कानूनी टूल भी। पुलिस अगर मना करती है तो घबराएं नहीं, ऊपर बताए गए रास्ते अपनाएं।

डाउनलोड करें: [FIR आवेदन पत्र का फॉर्म PDF] ✅ शेयर करें: यह लेख उन लोगों की मदद कर सकता है जिन्हें अपने अधिकारों की जानकारी नहीं है।

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