BNS SECTIONS 17,18,19 Explained in Hindi: तथ्य की गलती और अपराध नहीं होने का सिद्धांत

BNS SECTIONS 17,18,19 Explained in Hindi: तथ्य की गलती और अपराध नहीं होने का सिद्धांत


क्या आपने कभी किसी को अपराध करते देखा और तुरंत पकड़ लिया?
अगर बाद में पता चला कि वो अपराधी नहीं था — तो क्या आपने अपराध किया?

आइए इस सवाल का जवाब देते हैं BNS की धारा 17 के माध्यम से।








 BNS Section 17 क्या कहती है? IPC SECTION 79

“कोई भी कार्य जो किसी व्यक्ति द्वारा कानून के अनुसार सही समझकर किया गया हो, और वह विश्वास किसी तथ्य की गलती पर आधारित हो (कानून की गलती पर नहीं), और वह इसे ईमानदारी से करता है — तो वह कार्य अपराध नहीं माना जाएगा।”

 आसान भाषा में समझें:

अगर कोई व्यक्ति किसी काम को सच्चे मन (Good Faith) से, यह समझकर करता है कि वह कानूनन सही है,
और यह सोच तथ्य की गलती (Mistake of Fact) के कारण है —
तो वह अपराध नहीं माना जाएगा।

📌 लेकिन अगर वह गलती कानून की समझ से जुड़ी हो, तो कोई छूट नहीं मिलेगी।

 

उदाहरण:

मान लीजिए A देखता है कि Z किसी को चाकू मार रहा है
A को लगता है कि Z हत्या कर रहा है और वह Z को पकड़कर पुलिस के हवाले कर देता है।

बाद में पता चलता है कि Z ने आत्मरक्षा में हमला किया था।

➡️ चूंकि A ने यह काम ईमानदारी से, और कानून के तहत अपराधी को पकड़ने के अधिकार का प्रयोग करते हुए किया,
इसलिए A ने कोई अपराध नहीं किया




⚖️ BNS धारा 17 का उद्देश्य:

  • निर्दोष लोगों को अनजाने में की गई ईमानदार गलती के लिए सज़ा से बचाना।

  • ऐसे कार्यों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखना जो कानून के अनुसार सही समझे गए हों।


🧑‍⚖️ भारतीय केस लॉ:

📝 State of Orissa v. Bhagaban Barik, AIR 1987 SC 1265

तथ्य: आरोपी ने एक व्यक्ति को चोर समझकर पकड़ लिया और पुलिस को सौंप दिया।
बाद में साबित हुआ कि वह व्यक्ति चोर नहीं था।

निर्णय: आरोपी ने सच्ची नीयत (Good Faith) में यह कार्य किया था, इसलिए उसे अपराधी नहीं माना गया।



 विदेशी केस लॉ:

📝 R v. Tolson (1889)

एक महिला ने अपने पति को मृत मानकर दूसरा विवाह कर लिया।
बाद में उसका पहला पति जीवित पाया गया।
कोर्ट ने कहा कि महिला ने तथ्य की गलती में यह किया, इसलिए उसे दोषमुक्त कर दिया गया।



 कानून की गलती vs तथ्य की गलती:

प्रकार माफ किया जाएगा? उदाहरण
तथ्य की गलती (Mistake of Fact) ✅ हाँ किसी को चोर समझ कर पकड़ लेना
कानून की गलती (Mistake of Law) ❌ नहीं मान लेना कि आप किसी को सज़ा दे सकते हैं


 

निष्कर्ष:

IPC की धारा 79 यह सुनिश्चित करती है कि:

"जो व्यक्ति किसी कार्य को सच्ची नीयत से करता है, यह सोचकर कि वह कानून के अनुसार सही है — और उसकी गलती तथ्य की हो — तो वह व्यक्ति अपराधी नहीं माना जाएगा।"

 


 LEGAL4INDIA की सलाह:

हमेशा कोई कदम उठाने से पहले पूरा सच जानने की कोशिश करें, लेकिन अगर आप ईमानदारी से किसी की रक्षा या कानून के पालन में काम करते हैं, तो IPC आपकी सुरक्षा करता है।


बिलकुल! नीचे दिया गया लेख IPC Section 80 पर आधारित है, जिसमें यह बताया गया है कि अगर कोई कार्य दुर्घटनावश (accidentally) होता है, और वह कार्य कानून के तहत, सही ढंग से, बिना आपराधिक इरादे के किया गया है — तो उसे अपराध नहीं माना जाएगा।



IPC Section 80 BNS  SECTION 18 Explained in Hindi: दुर्घटना से हुआ कार्य अपराध नहीं होता

क्या कोई व्यक्ति जो पूरी सावधानी बरतते हुए काम कर रहा हो, फिर भी कोई हादसा हो जाए — तो क्या वह अपराधी है?

IPC की धारा 80 इस सवाल का जवाब देती है।


📜 BNS Section 18 क्या कहती है?

“कोई भी ऐसा कार्य जो किसी वैध (lawful) कार्य को सही तरीके से, कानूनी साधनों द्वारा और पूरी सावधानी के साथ करते हुए, अगर दुर्घटनावश या दुर्भाग्यवश होता है — और जिसमें कोई आपराधिक मंशा (criminal intention) या जानकारी (knowledge) नहीं होती — तो वह अपराध नहीं माना जाएगा।”



🤔 आसान भाषा में समझिए:

अगर कोई व्यक्ति:

कानून के तहत वैध कार्य कर रहा है
✅ सही तरीका अपनाया है
✅ कानूनी साधनों से कर रहा है
✅ पूरी सावधानी बरत रहा है
✅ और फिर भी दुर्घटनावश कुछ हो जाता है
➡️ तो उसे अपराध नहीं माना जाएगा, जब तक उसमें कोई आपराधिक मंशा या जानकारी नहीं हो


🧱 उदाहरण:

A कुल्हाड़ी से लकड़ी काट रहा है।
अचानक कुल्हाड़ी का सिर उड़कर एक पास खड़े आदमी को लग जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है।

➡️ यदि A ने पूरी सावधानी बरती थी, और यह केवल एक दुर्घटना (Accident) थी,
तो A को अपराधी नहीं माना जाएगा।



⚖️ BNS Section 18 का उद्देश्य:

  • ऐसे व्यक्तियों को संरक्षण देना जो जानबूझकर कोई गलत कार्य नहीं कर रहे होते, फिर भी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।

  • न्याय और नीयत में फर्क समझना —
    यानी अगर नीयत साफ है, और कार्य में लापरवाही नहीं थी, तो वह दोषमुक्त हो सकता है।



महत्वपूर्ण केस: Tunda v. State of U.P. (AIR 1971 All 343)

🔸 तथ्यों का सारांश:

एक व्यक्ति ट्रेन में हथियार लेकर जा रहा था, जो दुर्घटनावश एक व्यक्ति को लग गया।

कोर्ट ने माना:

यदि वह हथियार सुरक्षित तरीके से रखा गया था, और चोट दुर्घटनावश हुई थी, तो यह IPC Section 80 के अंतर्गत अपराध नहीं माना जाएगा।



❗ किन परिस्थितियों में नहीं मिलेगा संरक्षण?

  • यदि व्यक्ति ने लापरवाही की हो

  • यदि कार्य गैरकानूनी हो

  • यदि कोई आपराधिक मंशा या जानबूझकर की गई गलती हो
    ➡️ तो वह IPC Section 80 के तहत छूट नहीं पाएगा।


 निष्कर्ष:

IPC की धारा 80 यह कहती है:

“अगर कोई कार्य पूरी सावधानी के साथ करते हुए, दुर्भाग्यवश दुर्घटना से कुछ गलत हो जाए, और करने वाले की नीयत साफ हो — तो वह व्यक्ति अपराधी नहीं होगा।”



याद रखें:

❝ गलती और दुर्घटना में अंतर होता है — कानून केवल उन्हें माफ करता है जिनकी नीयत साफ हो और जिनसे अनजाने में गलती हुई हो। ❞


 IPC Section 81 BNS SECTION  19 Explained in Hindi: एक हानि से बचने के लिए दूसरी हानि की संभावना – कब अपराध नहीं मानी जाती


क्या आप जानते हैं कि कुछ मामलों में अगर किसी को नुकसान पहुंच भी गया हो, फिर भी वह अपराध नहीं माना जाता?
IPC की धारा 81 ऐसे ही मामलों को स्पष्ट करती है जहां एक हानि से बचने के लिए दूसरा जोखिम उठाया जाता है, और फिर भी वह अपराध नहीं बनता — बशर्ते कुछ शर्तें पूरी हों।



BNS Section 19 क्या कहती है?

“सिर्फ इस कारण से कोई कार्य अपराध नहीं होता कि करने वाले को यह ज्ञान था कि उससे किसी प्रकार की हानि हो सकती है,
यदि वह कार्य किसी आपराधिक मंशा के बिना, और भले उद्देश्य (Good Faith) से, किसी व्यक्ति या संपत्ति को होने वाली अन्य बड़ी हानि को टालने के लिए किया गया हो।”


व्याख्या:

यह एक तथ्य का प्रश्न है कि क्या बचाई जाने वाली हानि इतनी गंभीर और निकट थी कि उस जोखिम को उठाया जाना उचित या क्षम्य हो।



सरल भाषा में समझें:

यदि कोई व्यक्ति किसी कार्य को यह जानते हुए करता है कि इससे नुकसान हो सकता है,
लेकिन वह कार्य उसने किसी बड़ी हानि से बचने के लिए, बिना किसी आपराधिक मंशा के, और Good Faith में किया है,
तो वह कार्य अपराध नहीं माना जाएगा।



उदाहरण से स्पष्ट करें:

  1. जहाज का कप्तान और दो नावें:

    मान लीजिए A एक जहाज का कप्तान है। अचानक ऐसी स्थिति आ जाती है जहां

    • अगर वह सीधा चलता है, तो नाव B को टक्कर लगती जिसमें 20-30 लोग हैं।

    • लेकिन अगर वह रास्ता बदलता है, तो नाव C को टक्कर लगने का खतरा होता है जिसमें केवल 2 लोग हैं।

    अगर A अपनी दिशा बदलता है, और उसकी मंशा C को टक्कर मारना नहीं है,
    बल्कि B को बचाना है,
    तो वह अपराधी नहीं माना जाएगा, भले ही C को टक्कर लग जाए —
    बशर्ते उसने यह सब ईमानदारी से और अच्छे उद्देश्य से किया हो।

  2. आग के दौरान मकानों को गिराना:

    यदि A किसी बड़ी आग को फैलने से रोकने के लिए आस-पास के मकान तोड़ देता है,
    और ऐसा वह मानव जीवन या संपत्ति बचाने के उद्देश्य से करता है —
    तो वह कार्य अपराध नहीं माना जाएगा,
    यदि यह साबित हो जाए कि आग इतनी गंभीर थी कि ऐसा करना उचित था।









कानून का उद्देश्य:

IPC की धारा 81 उन स्थितियों को पहचानती है जहां कोई व्यक्ति एक बड़ी हानि से बचाने के लिए जरूरी कार्य करता है,

जिसमें अनजाने में कोई दूसरी हानि हो सकती है।
यह धारा न्याय की भावना से प्रेरित है, जो यह मानती है कि नीयत और परिस्थिति दोनों महत्वपूर्ण हैं।



महत्वपूर्ण केस: Surendra Pal vs State of U.P., 1958 CriLJ 1585

तथ्य:
एक खेत में आग लगने से फसल को बचाने के लिए आरोपी ने एक अन्य खेत में आग फैलाई ताकि आग नियंत्रित हो सके।
इससे दूसरे व्यक्ति की फसल जल गई।

निर्णय:
कोर्ट ने कहा कि अगर यह सिद्ध हो जाए कि कार्य सच्चे मन (Good Faith) और बड़ी हानि से बचाने के लिए किया गया,
तो यह IPC Section 81 के अंतर्गत अपराध नहीं माना जाएगा।



किन शर्तों पर यह धारा लागू होती है?

  • कार्य करने वाले की कोई आपराधिक मंशा नहीं होनी चाहिए

  • कार्य Good Faith में किया गया हो

  • कार्य का उद्देश्य किसी अन्य बड़ी हानि को टालना हो

  • यह साबित हो सके कि हानि वास्तव में निकट और गंभीर थी

  • कार्य वैध साधनों से किया गया हो (जहाँ संभव हो)



निष्कर्ष:

IPC की धारा 81 एक न्यायसंगत प्रावधान है, जो उन परिस्थितियों को समझती है जब कोई व्यक्ति ईमानदारी से निर्णय लेता है,
और एक बड़ी आपदा या हानि को टालने के लिए जोखिम उठाता है।
यदि कार्य नीयत और सावधानी से किया गया हो, तो वह अपराध नहीं माना जाएगा।



LEGAL4INDIA की सलाह:

कानून केवल कार्य को नहीं, नीयत और परिस्थिति को भी देखता है।
यदि कोई निर्णय कठिन स्थिति में, एक बड़ी हानि से बचने के लिए लिया गया है,
तो कानून उसमें मानवता और न्याय का पक्ष लेता है।



 LEGAL4INDIA की राय:

अगर आप कोई वैध काम कर रहे हैं और फिर भी कुछ दुर्भाग्यवश होता है, तो घबराएं नहीं — IPC आपकी नीयत को भी देखता है।
परंतु, यह केवल तभी लागू होगा जब आपने पूरी सावधानी और ज़िम्मेदारी के साथ वह कार्य किया हो।



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