Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita Section 3 to 8

Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita Section  3  to  8



 आज हम इस पोस्ट मे BNSS धाराओ के बारे मे समझेंगे जो की (bare act) की भाषा से और भी आसान है | ताकि आप लोग आसानी से समझ सके | तो चलिय इस नए कानून को समझते है |



प्रस्तावना

भारत में आपराधिक न्याय प्रक्रिया लंबे समय से Criminal Procedure Code, 1973 (CrPC) के अनुसार चल रही थी। लेकिन समय के साथ तकनीक, समाज और अपराध के तरीके बदलते गए। इसी बदलाव को ध्यान में रखते हुए सरकार ने Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 (BNSS) को लागू किया। यह कानून CrPC की जगह लेता है और भारतीय आपराधिक प्रक्रिया को ज्यादा सशक्त, पारदर्शी और समयबद्ध बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

इस लेख में हम BNSS की धारा 3 से 8 तक के प्रावधानों को सरल और व्यवहारिक भाषा में समझेंगे ताकि कानून की जटिलता के बिना आप इसका मर्म जान सकें।


 धारा 3: मजिस्ट्रेट के संदर्भ में स्पष्टता

 क्या कहती है धारा 3?


जब किसी भी कानून में "Magistrate", "First Class Magistrate" या "Second Class Magistrate" लिखा जाता है और उसके आगे कोई विशेषण (जैसे – Executive या Judicial) नहीं होता, तो इसे किस रूप में समझा जाए?


इसका सीधा उत्तर BNSS की धारा 3 देती है:

जो उस क्षेत्र में कार्यरत हैं जहाँ केस चल रहा हो।





Judicial vs Executive Magistrate – एक आम भ्रम का समाधान

यहाँ एक आम सवाल उठता है – मजिस्ट्रेट तो दोनों होते हैं, पर Judicial Magistrate और Executive Magistrate में क्या फर्क है?


🔹 Judicial Magistrate
🔸 Executive Magistrate
न्यायिक कार्य करता है – जैसे सजा सुनाना, हिरासत देना, चार्जशीट स्वीकार करनाप्रशासनिक कार्य करता है – जैसे लाइसेंस जारी करना, दंगा रोकने के आदेश देना
अदालत में कार्य करता हैतहसील या कलेक्टर कार्यालय से संबंधित होता है
न्याय प्रक्रिया का हिस्सा होता हैप्रशासन का हिस्सा होता है


उदाहरण: अगर किसी आरोपी को जेल भेजना है – तो Judicial Magistrate ही आदेश देगा। लेकिन अगर किसी क्षेत्र में धारा 144 लगानी है, तो वह Executive Magistrate का काम है।


 धारा 4: अपराधों की जाँच और सुनवाई का तरीका

धारा 4 यह सुनिश्चित करती है कि BNSS लागू होने के बाद सभी आपराधिक मामलों की प्रक्रिया एक समान हो।

क्या शामिल है?

  1. BNSS, 2023 के तहत आने वाले हर अपराध की:

    • जाँच

    • पूछताछ

    • अभियोजन

    • और सुनवाई

    इसी कानून के अनुसार होगी।

  2. अगर कोई अपराध किसी अन्य कानून (जैसे NDPS Act, POCSO, UAPA आदि) के तहत आता है, तब भी BNSS की प्रक्रिया लागू होगी — जब तक वह विशेष कानून कुछ अलग न कहे।

👉 मतलब यह कि अब एक  और समान प्रक्रिया देशभर में लागू होगी।



धारा 5: विशेष या स्थानीय कानूनों पर प्रभाव नहीं

इस धारा में यह स्पष्ट किया गया है कि:

यदि कोई विशेष कानून (Special Law) या स्थानीय कानून (Local Law) पहले से मौजूद है, तो वह तब तक प्रभाव में रहेगा जब तक BNSS में विशेष रूप से उसे हटाने का उल्लेख न हो।

 

इसका क्या मतलब है?

भारत में कई राज्यों के अपने कानून होते हैं, जैसे:

  • महाराष्ट्र में Control of Organised Crime Act (MCOCA)

  • दिल्ली में स्थानीय पुलिस एक्ट

  • जम्मू कश्मीर के कुछ क्षेत्रीय कानून

👉 BNSS इन कानूनों को खत्म नहीं करता। बल्कि, जब तक BNSS खुद यह न कहे कि "यह कानून अब मान्य नहीं है", तब तक वे प्रभावी रहेंगे।


 धारा 6: अपराध न्यायालयों के प्रकार

BNSS की धारा 6 बताती है कि भारत में कौन-कौन से आपराधिक न्यायालय होंगे।

⚖️ Criminal Courts के प्रकार:

  1. सेशन न्यायालय (Court of Session)

  2. प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (Judicial Magistrate First Class)

  3. द्वितीय श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (Judicial Magistrate Second Class)

  4. कार्यकारी मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate)


📌 महत्व क्यों है?

इस वर्गीकरण से केस की गंभीरता के अनुसार उसे उपयुक्त न्यायालय में भेजा जा सकता है:

  • गंभीर अपराध (जैसे हत्या, बलात्कार)  सेशन न्यायालय

  • कम गंभीर अपराध  मजिस्ट्रेट स्तर के न्यायालय



 धारा 7: सेशन डिवीज़न और ज़िले

भारत एक विशाल देश है और हर राज्य का अपना प्रशासनिक ढांचा है। इसलिए BNSS की धारा 7 कहती है कि:

  • हर राज्य को Sessions Divisions में बाँटा जाएगा।

  • एक Division एक ज़िला भी हो सकता है या कई ज़िलों से मिलकर बना हो सकता है।

  • राज्य सरकार उच्च न्यायालय की सलाह से इन Divisions की सीमाएं तय कर सकती है।

  • ज़िलों को आवश्यकता अनुसार उप-डिवीजन में भी बाँटा जा सकता है।

👉 पुराने डिवीज़न और ज़िले जो पहले से अस्तित्व में हैं – उन्हें भी BNSS के तहत वैध माना जाएगा।


 धारा 8: सेशन न्यायालय की स्थापना

यह धारा बताती है कि हर सेशन डिवीज़न में एक Court of Session होगा, जिसे राज्य सरकार बनाएगी।

 महत्वपूर्ण बिंदु:

  • Court of Session में कार्य करने वाले Judge की नियुक्ति हाई कोर्ट द्वारा की जाएगी।

  • Additional Sessions Judges की नियुक्ति भी हाई कोर्ट द्वारा की जा सकती है।

  • सेशन जज को ज़रूरत पड़ने पर दूसरे डिवीजन में कार्य करने के लिए भी भेजा जा सकता है।

  • अगर सेशन जज अनुपस्थित है, तो:

    • Additional Sessions Judge, या

    • Chief Judicial Magistrate
      👉 मामलों की सुनवाई कर सकता है (आपात स्थिति में)।


कोर्ट की कार्यवाही:

  • सामान्यतः उच्च न्यायालय द्वारा तय स्थान पर होती है।

  • लेकिन अगर सभी पक्ष सहमत हों, तो किसी अन्य स्थान पर भी हो सकती है।

👉 सेशन जज अपने अधीन कार्य कर रहे जजों को काम बाँट सकता है और अनुपस्थिति की स्थिति में वैकल्पिक व्यवस्था कर सकता है।



BNSS 2023 की धारा 3 से 8 तक





निष्कर्ष: BNSS की आधुनिक सोच

BNSS की ये शुरुआती धाराएं ही यह बता देती हैं कि नया कानून:

  • अधिक स्पष्ट,

  • संगठित, और

  • लोकहितैषी है।

भारत जैसे देश में जहां न्याय की प्रक्रिया में अक्सर देरी होती है, वहां इस प्रकार का सुधार एक नई उम्मीद की तरह है।


आगे क्या?

हम अगले लेखों में BNSS की अन्य धाराओं जैसे धारा 9 से 20 तक की सरल व्याख्या भी साझा करेंगे।

महत्वपूर्ण तथ्य (Quick Recap):

  • कोई अपराध तभी माना जाएगा जब कानून में उसका उल्लेख हो।

  • भारतीय कानून भारतीयों पर विदेशों में भी लागू हो सकता है।

  • विशेष कानून BNS से ऊपर होते हैं।

  • परिभाषाएं पूरे कानून में एक समान मानी जाएंगी।

  • FIR दर्ज होनी चाहिए या नहीं, यह अपराध की प्रकृति पर निर्भर है।

  • जमानत का अधिकार हर अपराध में नहीं होता।


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