What is section 8,9 in cpc (Civil Procedure Code) civil सी पी सी सेक्शन 8,9 क्या है

 What is section  8,9 in cpc (Civil Procedure Code) civil सी पी सी सेक्शन 8,9 क्या है  ?

What is section 8 cpc ?

Section. 8 सी पी सी  presidency Small  Cases Courts Act, 1882 और Civil procedure code के बीच संबंध को स्पष्ट करता है जेसे की | 

1.मुख्य बिंदु  -इस  सेक्शन मे  कहा गया है की कुछ  विशेष धाराए (section 24,38 to 41,75,76,77,157 और 158 ) और presidency small causes courts act ,1882 के  तहत जो प्रावधान  है वे calcutta ,Madras ,और bombay के small causes  courts  मे लागू नहीं होंगे |

2.Power Of High Court उच्च न्यायालये की शक्तियाँ: Fort विलियम,मद्रास ,और बॉम्बे के उच्च न्यायलये time to time पर अधिकारीत गजेट मे सूचनाए जारी कर सकते है | ये सूचनाए ये बता सकती सकती है की कॉन्से प्रावधान जो की presidency small causes court act के विपरीत नहीं है ये small causes courts मे लागू नहीं कीये जा सकते |

3.पूर्व के नियमों की वेधता: जो नियम पहले से बनाए गाये थे (section 9)मे उसी के तहत उन्हे वेध मना जाए गा |    

निष्कर्ष इस सेक्शन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जो भी छोटे समाल causes अदालतों में कुछ विशेष प्रावधानों का पालन किया जाए जबकि उच्च न्यायालयों को भी यह अधिकार दिया गया है कि वे उचित समय पर आवश्यक संशोधन कर सकें जो सेक्शन पहले बताए गाये बो small causes courts पर लागू  नहीं होंगे|    

What is section 9 cpc ?

1.Jurisdiction अधिकार क्षेत्र अदालतों को सभी नागरिक प्रकृति के मुकदमों  पर सुंबाई करने का अधिकार है सिवाय उन मुकदमों के जिनका संज्ञान या तो स्पष्ट रूप से या निहित रूप से रोका गया है | 

2.Civil suit  (नागरिक प्रकृति का मुकदमा )

अगर किसी संपत्ति या पद के अधिकार का विवाद है ,तो वह नागरिक प्रकृति का मुकदमा मना जाएगा भले ही वह अधिकार धार्मिक रीतियों या समारोहों के प्रश्नों पर निर्भर करता हो |

3. Importance Of Fees (फीस का महत्व)

इस धारा के संदर्भ मे यह महत्वपूर्ण नहीं है की  संबंधित पद से कोई फीस जुड़ी हुई है या नहीं ,या यह पद किसी विशेष स्थान से जुड़ा है या नहीं  |

महाराष्ट्र राज्य संशोधन  धारा 9A 

1.Preliminary Issue (प्रारंभिक मुद्दा) अगर  किसी मुकदमे मे (interim relief  अंतरिम राहत) के लिए आवेदन की सुनवाई के दोरान  अदालत की अधिकारिता पर आपत्ति उठाई जाती है, तो यह मुद्दा अदालत द्वारा प्राथमिक मुद्दे के रूप मे ते किया जाता है |

2.Hearing Of Processes(सुनवाई की प्रक्रिया) किसी भी कानून या कोड के प्रावधानों के बावजूद। यदि किसी मुकदमे मे अंतरिम राहत देने या उसे रद्द करने के लिए आवेदन की सुनवाई के दौरान अदालत की अधिकारिता पर आपत्ति उठाई जाती है तो अदालत को पहले से इस मुद्दे का निपटारा करना होगा | 

3.Expedited Hearing(त्वरित सुनवाई) ऐसी  किसी भी आवेदन को अदालत द्वारा सुना और निपटाया जाएगा ,और और इसे मुकदमे की सुनवाई के लिए स्थगित नहीं किया जाएगा |

4.Interim relief (अंतरिम राहत) उपधारा (1) के प्रावधानों के बावजूद ,अदालत सुनवाई के दौरान important समझे जाने पर interim relief  अंतरिम राहत प्रदान कर सकती है  , जब तक की अधिकारिता के प्राथमिक मुद्दे का निर्धारण नहीं हो जाता |

निष्कर्ष -यह संशोधन  अदालत को यह अधिकार देता है की वह पहले अधिकारिता के मुद्दे का निपटारा करे ,जिससे ये सुनश्चित हो सके की मुकदमे की सुनवाई मे कोई मुस्किल पेश ना आए |

 

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