दहेज प्रथा क्या है? Dowry System & Legal Remedies in India (Hindi)
दहेज प्रथा को समझे
आज देखा जाए तो भारत जैसे सांस्कृतिक और पारिवारिक मूल्यों वाले देश में विवाह एक पवित्र संस्था माना जाता है। लेकिन इसी संस्था के भीतर एक कुप्रथा आज भी घर-घर में अपनी जड़ें जमाए बैठी है — दहेज प्रथा। यह परंपरा धीरे-धीरे इतनी विकराल बन चुकी है कि इससे न सिर्फ आर्थिक शोषण होता है, बल्कि कई बार महिलाओं की जान भी ले लेती है। इस लेख में हम जानेंगे कि दहेज प्रथा क्या है, इसके दुष्परिणाम क्या हैं और इससे जुड़ी कानूनी सुरक्षा और उपाय कौन-कौन से हैं।
दहेज प्रथा क्या है?
दहेज का मतलब है वह संपत्ति, नकदी, उपहार या सामान जो विवाह के समय लड़की के परिवार द्वारा लड़के के परिवार को दिया जाता है। यह परंपरा कभी 'सम्मान' का प्रतीक मानी जाती थी, लेकिन समय के साथ यह जबरदस्ती और लालच में बदल गई है।
आज दहेज न देने पर:
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शादी टूट जाती है
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लड़की को ससुराल में प्रताड़ना दी जाती है
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और कई बार दहेज हत्या तक की नौबत आ जाती है।
भारत में दहेज प्रथा की स्थिति
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार:
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हर साल हजारों महिलाएं दहेज प्रताड़ना का शिकार होती हैं।
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2023 में लगभग 6,800 से अधिक दहेज हत्याओं के केस दर्ज हुए।
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कई मामले तो रिपोर्ट ही नहीं किए जाते।
यह आंकड़े बताते हैं कि ये समस्या सिर्फ ग्रामीण इलाकों तक सीमित नहीं है, बल्कि शहरों में भी यह महामारी बन चुकी है।
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दहेज प्रथा और इससे जुड़े भारतीय कानून |
दहेज निषेध अधिनियम, 1961 (Dowry Prohibition Act)
यह अधिनियम क्या कहता है?
"यदि कोई भी व्यक्ति दहेज मांगता है या देता है, तो वह अपराधी माना जाएगा।"
मुख्य प्रावधान:
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दहेज देना और लेना — दोनों अपराध हैं
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दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की सजा और ₹15,000 या दहेज की कीमत जितनी जुर्माना
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विवाह से पहले, विवाह के समय या विवाह के बाद भी दहेज देना/लेना अवैध है
👉 यह कानून यह सुनिश्चित करता है कि विवाह केवल सामाजिक बंधन हो, आर्थिक सौदा नहीं।
भारतीय दंड संहिता की धारा 498A – स्त्री पर क्रूरता
इस धारा के तहत यदि पति या ससुराल वाले किसी महिला के साथ:
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मानसिक या शारीरिक क्रूरता करते हैं
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दहेज की मांग को लेकर उसे प्रताड़ित करते हैं
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आत्महत्या करने के लिए उकसाते हैं
तो यह एक गैर-जमानती अपराध है।
सजा:
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3 साल तक की जेल
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जुर्माना
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महिला के बयान को पर्याप्त माना जाता है
👉 यह धारा कई महिलाओं के लिए न्याय की पहली सीढ़ी है।
धारा 304B – दहेज मृत्यु
यदि किसी महिला की शादी के 7 साल के भीतर मृत्यु होती है और यह संदेहास्पद हो, तथा उसे ससुराल वालों द्वारा दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया हो, तो इसे दहेज हत्या माना जाता है।
सजा:
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कम से कम 7 साल, अधिकतम आजीवन कारावास
👉 यह धारा एक गंभीर चेतावनी है उन लोगों के लिए जो दहेज के कारण महिलाओं की जान ले लेते हैं।
महिला के अधिकार और कानूनी सहारा
दहेज प्रथा से पीड़ित महिलाओं के पास कई कानूनी उपाय मौजूद हैं:
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FIR दर्ज कराना – महिला थाने में जाकर शिकायत दर्ज कर सकती हैं
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महिला आयोग से सहायता लेना
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घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत सुरक्षा पाना
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फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा
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Protection Order और Monetary Relief की मांग
झूठे केस और कानून का दुरुपयोग
जहां दहेज प्रथा सच में एक भयंकर सामाजिक समस्या है, वहीं यह भी सच है कि कुछ लोग कानून का गलत फायदा उठाते हैं। कई बार महिलाएं भी झूठा केस दर्ज करवा देती हैं:
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झूठे 498A केस
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ससुराल वालों को फंसाना
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पैसे ऐंठने की कोशिश
👉 इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि 498A मामलों की प्राथमिक जांच के बाद ही गिरफ्तारी हो।
समाज में सुधार के उपाय
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सामाजिक जागरूकता – युवाओं को समझाना कि दहेज लेना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि अनैतिक भी है
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शिक्षा और आत्मनिर्भरता – बेटियों को पढ़ाना और आत्मनिर्भर बनाना
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सरकारी अभियान – "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ", "नारी शक्ति" जैसे प्रोग्राम
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कानूनी जागरूकता – महिलाओं को उनके अधिकारों की जानकारी देना
दहेज मुक्त भारत की ओर
दहेज प्रथा सिर्फ एक पारिवारिक समस्या नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय सामाजिक कलंक है। जब तक समाज इसे सामूहिक जिम्मेदारी नहीं मानेगा, तब तक कानून अकेले इसे खत्म नहीं कर पाएंगे। हमें बेटियों को उपहार नहीं, समान अधिकार देने की ज़रूरत है।
निष्कर्ष
दहेज प्रथा न केवल महिलाओं के लिए एक खतरा है, बल्कि समाज की नैतिकता पर भी सवाल खड़ा करती है। हालाँकि भारतीय कानून जैसे दहेज निषेध अधिनियम, धारा 498A, और धारा 304B महिलाओं को कानूनी सुरक्षा प्रदान करते हैं, फिर भी असली समाधान जागरूकता, शिक्षा और सामाजिक परिवर्तन में ही है।
आइए, एक ऐसा भारत बनाएं जहां बेटियों को दहेज नहीं, सम्मान मिले।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल Frequently Asked Questions (FAQs)
Q1. क्या दहेज मांगना अपराध है?
उत्तर:
हाँ, भारत में दहेज मांगना एक आपराधिक कृत्य है। दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत दहेज मांगने, देने या लेने पर कड़ी सजा और जुर्माना हो सकता है।
Q2. दहेज निषेध अधिनियम, 1961 क्या है?
उत्तर:
यह एक केंद्रीय कानून है जो दहेज की मांग, लेन-देन और उत्पीड़न को रोकने के लिए बनाया गया है। इसके अंतर्गत दोषियों को 5 साल तक की जेल और ₹15,000 या उससे अधिक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
Q3. दहेज से संबंधित कौन-कौन सी IPC धाराएँ लागू होती हैं?
उत्तर:
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धारा 498A: पत्नी पर क्रूरता या उत्पीड़न
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धारा 304B: दहेज हत्या
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धारा 406: विवाह के समय दिए गए सामान की हेराफेरी
Q4. अगर महिला को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा हो, तो वह क्या कर सकती है?
उत्तर:
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पुलिस में FIR दर्ज कर सकती है
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घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत कोर्ट में शिकायत कर सकती है
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राष्ट्रीय महिला आयोग से संपर्क कर सकती है
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कोर्ट से भरण-पोषण और संरक्षण आदेश मांग सकती है
Q5. दहेज हत्या की क्या परिभाषा है?
उत्तर:
जब किसी महिला की विवाह के 7 साल के भीतर मृत्यु हो जाती है और यह मृत्यु दहेज से जुड़ी प्रताड़ना या संदेहजनक परिस्थिति में होती है, तो इसे दहेज हत्या (IPC 304B) माना जाता है।
Q6. क्या दहेज लेना भी अपराध है, अगर लड़की वाले अपनी इच्छा से दें?
उत्तर:
हाँ, भले ही लड़की के माता-पिता अपनी इच्छा से दहेज दें, फिर भी यह कानूनन अपराध है। दहेज निषेध अधिनियम इस पर भी सख्ती से रोक लगाता है।
Q7. क्या सिर्फ महिला ही दहेज प्रताड़ना की शिकायत कर सकती है?
उत्तर:
हाँ, मुख्य रूप से पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा महिला पर किए गए अत्याचार के मामलों में महिला ही शिकायतकर्ता होती है। परंतु अगर कोई गवाह है, तो वह भी रिपोर्ट दर्ज करवा सकता है।
Q8. क्या झूठे दहेज मामलों में सजा होती है?
उत्तर:
हाँ, अगर यह साबित हो जाए कि महिला या उसके परिवार ने झूठा केस किया है, तो उन्हें भी झूठी शिकायत (IPC 182, 211) के लिए सजा हो सकती है।
Q9. दहेज विरोधी कानूनों के अंतर्गत शिकायत कहां करें?
उत्तर:
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नजदीकी पुलिस स्टेशन
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महिला हेल्पलाइन नंबर 1091
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महिला थाना (Women Police Station)
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महिला आयोग (NCW / SCW)
Q10. दहेज से जुड़ा मामला कितने समय में सुलझता है?
उत्तर:
अगर मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में जाता है तो 6 महीने से 1 साल में निपटारा हो सकता है। परंतु सामान्यतः ऐसे मामलों में 3 से 5 साल तक का समय लग सकता है।
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