अगर पुलिस परेशान करे तो क्या करें?
भारत में पुलिस का कार्य क्या है ?
भारत मे पुलिस का क्या काम है | आखिर क्यू भरात मे पुलिस को रखा गया | चलिय जानते है | भारत में पुलिस का कार्य कानून-व्यवस्था बनाए रखना है, लेकिन जब वही पुलिस नागरिक को परेशान करे तो कानूनी विकल्प अपनाना ज़रूरी हो जाता है। आप लोगों को चाहिए की आप जो भी पढ़ाई करते है | चाहे आप एक computer science के स्टूडेंट हो या किसी और किसी site ke student क्यू ना हो आप को चाहिए की आप law की भी थोड़ी समझ रखे हमे अपने संविधान का भी ज्ञान होना चाहिए | ताकि हम अपने fundamental rights को जान सके ताकि जब भी किसी जगह आप का या किसी और किसी नागरिक का fundamental rights का हनन हो रहा हो तो आप उसके लिए अपनी आवाज उठा सको | आप अपने बच्चों को भी law ki जानकारी उपलव्ध कराए | आज के वक्त मे ये बेहद जरूरी हो गया है की | आप को कानून की जान कारी होना जरूरी है |
पुलिस द्वारा परेशान किए जाने के रूप
- बिना वारंट गिरफ्तारी
- झूठे केस में फंसाना
- शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना
- रिश्वत मांगना
- बार-बार थाने बुलाना
भारतीय नागरिकों के कानूनी अधिकार क्या है |
- अनुच्छेद 21: जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार
- अनुच्छेद 22: गिरफ्तारी के समय अधिकार
- अनुच्छेद 19: स्वतंत्र आवागमन का अधिकार
पुलिस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कैसे करे |
- SHO या DSP को शिकायत
- SP/DCP को लिखित शिकायत
- मानवाधिकार आयोग में शिकायत
- मीडिया और RTI
- हाईकोर्ट में याचिका
FIR कैसे दर्ज करें ?
पुलिस के खिलाफ FIR CrPC 154(3) और 156(3) के तहत दर्ज की जा सकती है, यदि पुलिस रिपोर्ट लेने से इनकार करे।
पुलिस प्रताड़ना पर मुआवज़ा कैसे ले ?
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, पीड़ित सिविल कोर्ट में मुआवज़े की मांग कर सकता है।
महिलाओं और बच्चों के विशेष अधिकार क्या है ?
- महिला की गिरफ्तारी सूर्यास्त के बाद नहीं
- महिला पुलिस द्वारा ही गिरफ्तारी
- JJB के ज़रिए बाल अधिकार
DK Basu गाइडलाइंस
गिरफ्तारी के समय पहचान पत्र, सूचना परिजन को, मेडिकल जांच – सब अनिवार्य हैं।
झूठे केस में बदले की कार्रवाई
IPC की धाराएं 182, 211, 220, और 342 के तहत शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
पुलिस द्वारा परेशान किए जाने पर कानूनी अधिकार
- CrPC 50 – गिरफ्तारी का कारण बताना
- CrPC 57 – 24 घंटे में पेशी
- CrPC 41D – वकील से मिलने का अधिकार
- RTI, मेडिकल जांच, NHRC में शिकायत का अधिकार
ऑनलाइन शिकायत कहां करें?
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
- गृह मंत्रालय - जन शिकायत पोर्टल
- राज्य की पुलिस वेबसाइट पर
अगर कोई पुलिस अधिकारी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करता है तो नागरिकों को डरने की जरूरत नहीं है। भारतीय कानून आपकी रक्षा करता है।
![]() |
अगर पुलिस परेशान करे तो क्या करें? |
भारत में पुलिस का मुख्य कार्य
भारत में पुलिस का मुख्य कार्य कानून-व्यवस्था बनाए रखना और नागरिकों की सुरक्षा करना है। लेकिन जब यही पुलिस किसी निर्दोष व्यक्ति को बिना कारण परेशान करने लगे, झूठे मुकदमे में फंसा दे या गैरकानूनी तरीके अपनाए, तो यह न केवल संविधान के खिलाफ है बल्कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भी है।इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि अगर कोई व्यक्ति पुलिस द्वारा परेशान किया जा रहा है, तो उसे क्या करना चाहिए, कौन-कौन से कानूनी उपाय उपलब्ध हैं, और कहां और कैसे शिकायत दर्ज की जा सकती है।
पुलिस द्वारा परेशान किए जाने के सामान्य रूप
-
बिना वारंट गिरफ्तारी करना
-
झूठे मुकदमे में फंसाना
-
शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना देना
-
रिश्वत मांगना या धमकी देना
-
परिवार या रिश्तेदारों को डराना
-
अनुचित पूछताछ या बार-बार थाने बुलाना
भारतीय नागरिकों के कानूनी अधिकार क्या है |
यदि आपको लगता है कि पुलिस आपकी आज़ादी का दुरुपयोग कर रही है, तो जानिए ये मौलिक अधिकार, जो संविधान द्वारा दिए गए हैं:
1. धारा 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
कोई भी व्यक्ति बिना उचित प्रक्रिया के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
2. धारा 22 – गिरफ्तारी के समय अधिकार
गिरफ्तारी के समय व्यक्ति को:
-
कारण बताया जाना चाहिए,
-
वकील से मिलने की अनुमति मिलनी चाहिए,
-
24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना चाहिए।
3. धारा 19 – स्वतंत्र रूप से चलने-फिरने का अधिकार
यदि पुलिस बार-बार परेशान कर रही है तो यह अधिकार का उल्लंघन माना जाएगा।
पुलिस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के विकल्प
1. थाने के वरिष्ठ अधिकारी से शिकायत
-
सबसे पहले, उसी थाने के SHO या DSP को लिखित शिकायत दीजिए।
-
शिकायत की एक कॉपी अपने पास रखें और रिसीविंग लें।
2. SP या DCP को शिकायत करें
-
अगर थाना स्तर पर सुनवाई नहीं हो रही है, तो ज़िला स्तर पर वरिष्ठ अधिकारी (Superintendent of Police) से संपर्क करें।
-
आप व्यक्तिगत रूप से मिल सकते हैं या रजिस्टर्ड पोस्ट से आवेदन भेज सकते हैं।
3. मानवाधिकार आयोग (NHRC) में शिकायत करें
-
पुलिस द्वारा प्रताड़ना, मारपीट, या हिरासत में अत्याचार हो तो National Human Rights Commission में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
-
NHRC की वेबसाइट: https://nhrc.nic.in
4. मीडिया और सोशल मीडिया का सहारा
-
प्रूफ और दस्तावेज़ों के साथ मामला मीडिया के सामने लाना जागरूकता का एक तरीका हो सकता है।
5. RTI (सूचना का अधिकार) दाखिल करें
-
आप RTI के माध्यम से यह पूछ सकते हैं कि आपके खिलाफ कोई शिकायत दर्ज है या नहीं, पुलिस बार-बार क्यों बुला रही है आदि।
6. न्यायालय में याचिका दाखिल करें (Writ Petition)
-
हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में Habeas Corpus या Mandamus याचिका दाखिल कर सकते हैं।
-
यह याचिका तब दायर की जाती है जब:
-
गिरफ्तारी गैरकानूनी हो,
-
व्यक्ति को थाने में अवैध रूप से रखा गया हो।
-
पुलिस के खिलाफ FIR कैसे दर्ज करें?
पुलिस के खिलाफ FIR दर्ज करवाना थोड़ा कठिन हो सकता है, लेकिन अगर अपराध गंभीर है जैसे:
-
मारपीट
-
धमकी
-
झूठे केस में फंसाना
तो आप निम्न तरीके से FIR दर्ज करवा सकते हैं:
-
निकटतम पुलिस स्टेशन में जाएं।
-
शिकायत लिखकर दें और FIR की कॉपी मांगें।
-
अगर पुलिस FIR दर्ज नहीं करती, तो धारा 154(3) CrPC के तहत SP से शिकायत करें।
-
इसके बाद भी कोई सुनवाई न हो तो मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा 156(3) CrPC के तहत याचिका दाखिल करें।
पुलिस प्रताड़ना के खिलाफ मुआवज़ा कैसे पाएं?
यदि यह सिद्ध हो जाए कि पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से प्रताड़ना की है, तो पीड़ित को मुआवज़ा पाने का अधिकार है।
-
सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों में स्पष्ट किया गया है कि पुलिस की गलती के लिए सरकार ज़िम्मेदार होती है।
-
आप सिविल कोर्ट में मुआवज़ा दावा दाखिल कर सकते हैं।
महिलाओं और बच्चों के विशेष अधिकार
-
महिलाओं की गिरफ्तारी सूर्यास्त के बाद नहीं की जा सकती (CrPC 46)
-
महिला की गिरफ्तारी केवल महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही की जा सकती है।
-
बच्चों के मामले में JJB (Juvenile Justice Board) की प्रक्रिया अपनानी ज़रूरी है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश (DK Basu Guidelines)
1997 में सुप्रीम कोर्ट ने DK Basu बनाम पश्चिम बंगाल राज्य केस में कुछ महत्वपूर्ण गाइडलाइंस जारी की थीं:
-
गिरफ्तारी के समय पुलिस को पहचान पत्र दिखाना होगा।
-
गिरफ्तारी की जानकारी परिजन को देना अनिवार्य है।
-
मेडिकल जांच हर 48 घंटे में ज़रूरी है।
-
गिरफ्तारी की जानकारी थाने में बोर्ड पर प्रदर्शित करनी होगी।
-
आरोपी को वकील से मिलने का अधिकार होगा।
क्या झूठे केस में फंसने पर बदले की कार्रवाई कर सकते हैं?
हां, अगर यह सिद्ध हो जाए कि पुलिस ने आपको जानबूझकर झूठे केस में फंसाया:
-
तो आप भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 182, 211, 220, और 342 के तहत शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
-
पुलिस अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की जा सकती है।
पुलिस द्वारा परेशान किए जाने पर नागरिकों के कानूनी अधिकार
1. गिरफ्तारी के समय जानकारी पाने का अधिकार
👉 CrPC की धारा 50 के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है, तो पुलिस को उसे तुरंत कारण बताना होगा और यह भी बताना होगा कि उसे ज़मानत मिल सकती है या नहीं।
2. परिवार या मित्र को सूचित कराने का अधिकार
👉 Supreme Court के अनुसार, पुलिस को यह सुनिश्चित करना होगा कि गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार या मित्र को गिरफ्तारी की जानकारी दी जाए। (DK Basu Guidelines)
3. 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना जरूरी
👉 CrPC की धारा 57 के अनुसार, पुलिस किसी को 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नहीं रख सकती जब तक कि उसे मजिस्ट्रेट के सामने पेश न किया जाए।
4. वकील से मिलने और परामर्श का अधिकार
👉 CrPC की धारा 41D के तहत, गिरफ्तार व्यक्ति को अपने वकील से मिलने का अधिकार है, चाहे वह पूछताछ के दौरान ही क्यों न हो।
5. मेडिकल जांच का अधिकार
👉 हर 48 घंटे में गिरफ्तार व्यक्ति की मेडिकल जांच ज़रूरी है ताकि किसी भी प्रकार की यातना या शारीरिक नुकसान की पहचान की जा सके।
6. महिला के अधिकार
-
महिला की गिरफ्तारी सूर्यास्त के बाद नहीं की जा सकती (CrPC 46)
-
महिला की गिरफ्तारी केवल महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही हो सकती है।
-
पूछताछ भी महिला अधिकारी द्वारा ही की जानी चाहिए।
7. बच्चों के लिए विशेष सुरक्षा
👉 Juvenile Justice Act के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों की गिरफ्तारी या पूछताछ के लिए विशेष प्रक्रियाएं लागू होती हैं। पुलिस को JJB (Juvenile Justice Board) को सूचना देना अनिवार्य होता है।
8. मानवाधिकार आयोग में शिकायत का अधिकार
👉 यदि पुलिस प्रताड़ना या अत्याचार करती है, तो व्यक्ति NHRC (National Human Rights Commission) में ऑनलाइन या ऑफलाइन शिकायत दर्ज करा सकता है।
9. मुआवज़ा पाने का कानूनी अधिकार
👉 यदि पुलिस की लापरवाही या गैरकानूनी कार्रवाई से नुकसान होता है, तो पीड़ित व्यक्ति संविधान के अनुच्छेद 32 या 226 के तहत मुआवज़ा की मांग कर सकता है।
10. RTI दाखिल करने का अधिकार
👉 पुलिस की गतिविधियों पर पारदर्शिता बनाए रखने के लिए आप RTI (Right to Information Act, 2005) के तहत जानकारी मांग सकते हैं, जैसे:
-
गिरफ्तारी का कारण
-
FIR की कॉपी
-
पूछताछ से संबंधित दस्तावेज़
निष्कर्ष
यदि कोई पुलिस अधिकारी अपने अधिकारों का दुरुपयोग करता है और नागरिक को परेशान करता है, तो पीड़ित व्यक्ति के पास मजबूत कानूनी हथियार हैं। इन अधिकारों का ज्ञान आपको न सिर्फ सुरक्षित रखता है बल्कि न्याय पाने की राह भी दिखाता है।
LEGAL4INDIA – हर भारतीय का क़ानूनी ज्ञान बढ़ाने की दिशा में एक भरोसेमंद कदम
कहां करें ऑनलाइन शिकायत?
आप निम्न पोर्टल्स पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं:
प्लेटफ़ॉर्म | वेबसाइट लिंक |
---|---|
NHRC | https://nhrc.nic.in |
गृह मंत्रालय | https://pgportal.gov.in |
राज्य पुलिस वेबसाइट | अलग-अलग राज्यों की अपनी वेबसाइट होती है |
निष्कर्ष
अगर आपको पुलिस द्वारा बेवजह परेशान किया जा रहा है, तो घबराने की ज़रूरत नहीं है। भारतीय कानून आपको पूरी सुरक्षा और अधिकार देता है। अपने अधिकारों की जानकारी रखें और उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाएं। FIR से लेकर हाई कोर्ट तक, आपके पास कई विकल्प हैं जिनसे आप न्याय पा सकते हैं।
याद रखें, पुलिस जनता की सेवा के लिए है, न कि दमन के लिए। यदि कोई पुलिस अधिकारी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करता है, तो उसे कानून के दायरे में लाना जरूरी है।
अगर पुलिस परेशान करे तो Frequently Asked Questions (FAQs)
Q1. अगर पुलिस बार-बार थाने बुलाए तो क्या करें?
उत्तर: बार-बार बिना उचित कारण थाने बुलाना आपके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। आप SHO या SP को शिकायत दें, और चाहें तो RTI डालकर कारण पूछ सकते हैं। जरूरत पड़ने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर करें।
Q2. क्या पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है?
उत्तर: केवल कुछ विशेष अपराधों (जैसे संज्ञेय अपराध) में ही पुलिस बिना वारंट गिरफ्तारी कर सकती है। अन्य मामलों में गिरफ्तारी के लिए कोर्ट का वारंट जरूरी होता है।
Q3. झूठे केस में फंसाए जाने पर क्या करें?
उत्तर: IPC की धारा 182, 211, 220, और 342 के तहत पुलिस या शिकायतकर्ता के खिलाफ केस दर्ज किया जा सकता है। साथ ही हाईकोर्ट में राहत के लिए याचिका भी दायर की जा सकती है।
Q4. पुलिस प्रताड़ना होने पर कहां शिकायत करें?
उत्तर:
-
SHO/DSP/SP को लिखित शिकायत
-
NHRC (https://nhrc.nic.in) में ऑनलाइन शिकायत
-
RTI दाखिल कर जानकारी प्राप्त करें
-
जरूरत होने पर मीडिया/सोशल मीडिया का सहारा लें
Q5. क्या पुलिस के खिलाफ FIR दर्ज की जा सकती है?
उत्तर: हाँ। अगर पुलिस FIR दर्ज करने से मना करती है तो CrPC की धारा 154(3) के तहत SP को शिकायत करें। उसके बाद भी सुनवाई न हो तो CrPC 156(3) के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष याचिका दायर करें।
Q6. क्या सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस कार्यवाही पर गाइडलाइन दी है?
उत्तर: हाँ, DK Basu बनाम पश्चिम बंगाल केस (1997) में सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी और पूछताछ के समय पालन की जाने वाली गाइडलाइंस तय की हैं, जैसे – पहचान पत्र दिखाना, मेडिकल जांच, परिजन को सूचना आदि।
Q7. महिलाओं की गिरफ्तारी से जुड़े विशेष नियम क्या हैं?
उत्तर:
-
सूर्यास्त के बाद महिला की गिरफ्तारी नहीं की जा सकती (CrPC 46)
-
केवल महिला पुलिसकर्मी ही गिरफ्तारी या पूछताछ कर सकती है
Q8. क्या पुलिस द्वारा नुकसान पहुंचाने पर मुआवज़ा मिल सकता है?
उत्तर: हाँ। सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों में पीड़ित को मुआवज़ा देने के निर्देश दिए गए हैं। आप सिविल कोर्ट में मुआवज़े की मांग कर सकते हैं।
Q9. क्या बच्चों को भी पुलिस से कानूनी सुरक्षा मिलती है?
उत्तर: हाँ, 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को Juvenile Justice Act के तहत विशेष सुरक्षा मिलती है। गिरफ्तारी या पूछताछ JJB की निगरानी में होनी चाहिए।
Q10. पुलिस की गतिविधियों पर जानकारी कैसे लें?
उत्तर: आप RTI Act, 2005 के तहत पुलिस से पूछ सकते हैं:
-
FIR की स्थिति
-
पूछताछ का कारण
-
केस की जानकारी
Q11. ऑनलाइन शिकायत कहां करें?
उत्तर:
प्लेटफ़ॉर्म | लिंक |
---|---|
NHRC | https://nhrc.nic.in |
गृह मंत्रालय | https://pgportal.gov.in |
राज्य पुलिस | राज्य की आधिकारिक वेबसाइट देखें |
अगर आपके पास कोई और सवाल है, तो LEGAL4INDIA से संपर्क करें – हम हर नागरिक को सरल भाषा में कानूनी जानकारी देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
LEGAL4INDIA – आपकी क़ानूनी जानकारी का भरोसेमंद साथी।
If you have any questions then you can comment me