भारतीय दंड संहिता (BNS) 2023 और IPC में अंतर – आसान भाषा में पूरी तुलना

                       

भारतीय दंड संहिता (BNS) 2023 और IPC में अंतर – आसान भाषा में पूरी तुलना

 

आज   हम  भारत के नए कानून के बारे मे सुरू से पढ़ेंगे जिस मे हौं सेक्शन बयेस  ऐक ऐक  सेक्शन को पढ़ेंगे और हर धार के कुछ बेसिक पॉइंट्स को समझेंगे |

भारत के पुराने  कानून IPC 1860  को थोड़ा कुछ कुछ धाराओ मे बदलाब किया गया है और बस सेक्शन  को चेंज किया गया है बाकी जो IPC मे है वही BNS Bharatiya  Nyaya  Sanhita मे सब सैम ही है |
BNS को संसद मे दिसंबर मे पारित किया गया थे जिसे 1 july 2024 को लागू किया  गया था |




अब  आगे हम सभी धाराओ को समझेंगे और BHARAT के KANOON को समझेंगे ये  भी जानेंगे की IPC और BNS मे  क्या अंतर है |  BNS मे 175 धाराओ मे बदलाब  किया गया और 18 NEW SECTION ADD किए गए और 22 धराये खत्म की गई |

प्रस्तावना

भारत में आपराधिक कानून लंबे समय तक Indian Penal Code, 1860 (IPC) पर आधारित था। लेकिन 2023 में भारत सरकार ने भारतीय दंड संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita - BNS), 2023 को पारित किया, जो IPC का आधुनिक रूप है। इस लेख में हम BNS और IPC के बीच के मुख्य अंतर को सरल हिंदी में समझेंगे।


1. 📜 IPC और BNS की पृष्ठभूमि में अंतर

विषयIPC, 1860BNS, 2023
प्रारंभब्रिटिश शासन के दौरान लागूस्वतंत्र भारत द्वारा लागू
उद्देश्यउपनिवेशिक कानून व्यवस्था बनाए रखनान्याय पर आधारित भारतीय कानून बनाना
भाषाकठिन कानूनी अंग्रेज़ीसरल और स्पष्ट भारतीय भाषा शैली

2. 📅 आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार बदलाव

IPC कई ऐसे अपराधों को कवर नहीं करता था जो डिजिटल युग में सामने आए हैं। BNS में निम्नलिखित बदलाव जोड़े गए हैं:

  • Mob Lynching को पहली बार अपराध माना गया

  • Cybercrime पर स्पष्ट प्रावधान

  • महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर कड़े कानून

  • Trial और investigation की प्रक्रिया को तेज़ और tech-friendly बनाया गया


3. ⚖️ कुछ प्रमुख धाराओं का तुलनात्मक बदलाव

अपराधIPC की धाराBNS की धाराअंतर
हत्या302101भाषा और प्रक्रिया में बदलाव
बलात्कार37663-70विस्तृत परिभाषा और सज़ा
देशद्रोह124Aहटा दिया गयाइसे असंवैधानिक मानते हुए हटाया गया
मोब लिंचिंगकोई स्पष्ट धारा नहींनई धारा जोड़ी गईपहली बार Mob Lynching को अपराध माना गया

4. 👨‍⚖️ न्यायिक प्रक्रिया में सुधार

BNS के तहत:

  • E-FIR और वीडियो रिकॉर्डिंग को मंजूरी दी गई

  • Forensic Evidence को अनिवार्य बनाया गया (गंभीर मामलों में)

  • Police Custody अब न्यायिक समीक्षा के साथ होगी

  • मुकदमे में देरी कम करने के लिए समय सीमा तय की गई है


5. 🏛️ भारतीय संदर्भ में बना कानून

BNS अब पूरी तरह से भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक परिस्थिति को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह "लोकतांत्रिक मूल्यों" और "नागरिक अधिकारों" पर आधारित है।


6. IPC से BNS में बदलाव का सारांश

बिंदुIPCBNS
दृष्टिकोणदंडात्मकन्यायपूर्ण और सुधारात्मक
प्रक्रियाधीमी और जटिलसरल और टेक्नोलॉजी आधारित
सजा का ढांचाकई बार कठोरअपराध की प्रकृति अनुसार लचीलापन
कानून की भाषाकठिन अंग्रेज़ीसरल और स्पष्ट हिंदी-अंग्रेज़ी

निष्कर्ष

IPC अब इतिहास बन चुका है, और BNS 2023 भारत की न्याय प्रणाली को तेज़, पारदर्शी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। आम नागरिकों के लिए यह जानना ज़रूरी है कि अब अपराध और सज़ा से जुड़े कानून कैसे बदले हैं।


 क्या करें?

  • इस लेख को अपने दोस्तों और परिवार के साथ ज़रूर साझा करें, ताकि हर कोई इस बदलाव को समझ सके।

  • LEGAL4INDIA को फॉलो करें और अगला लेख पढ़ें – "FIR दर्ज कैसे करें? एक आम नागरिक की सरल गाइड"



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